Politics of India
THIS IS FIRST EFFORT OF A JOURNALISM'S STUDENT.
Monday, March 21, 2011
Wednesday, March 2, 2011
Monday, February 28, 2011
Sunday, August 9, 2009
पॉलिटिक्स मिन्स कर लो देश मुठ्ठी में...........
वही बात देश के सिस्टम को मनमर्जी से चलाने की, की जाये तो आपको शायद याद होगा कि कुछ महीनों पहले पटना में एक राजनेता को हवाई अड्डा पहुंचने में देर हो गई थी और फ्लाईट ने उसके पहुंचने से पहले ही उडान भर ली थी। जिसको लेकर के राजनेता ने सम्बंधित एयरलाईंस के मैनेजर से बदतमिजी करने लगा और बात हाथापाई तक पहुंच गई थी। ये कोई नई बात नही है ऐसा तो कई बार होता है कि नेता फ्लाईटों को प्रतिक्षा करवाते हैं। अनेको बार हवाई जहाजें देर से उडान भरती हैं। आप अंदाजा लगा सकते है कि बाकि लोग जो फ्लाइट से सफर कर रहे है उनको कितना नुक्सान हो रहा होगा। छोटी मोटी घटनाएं तो आप कही भी देख सकते है कि राजनेता किस प्रकार से कानुन तोड़कर के अपनी जिन्दगी जीते हैं। कही दूर जाने की जरुरत नही आपने कई बार देखा होगा कि किस प्रकार से हम किसी चौराहे पर रेड लाईट हो जाने पर खड़े रहते है और नेता की गाडी पीछे से आती है और रेड लाईट होने के बावजूद भी उसकी गाडी निकल जाती है। उस वक्त कोई पुलिस वाला उसकी गाडी को ना तो रोकता और ना ही उसका चालान काटा जाता। एक ऐसा ही मामला ओर है एक सांसद ने हाल ही के दिनों में प्रधानमंत्री के मोटरसाईकिल के काफिले में घुस कर के सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की। फिर उन्होने तर्क दिया कि उसे भी संसद में समय पर पहुंचने का उतना ही हक है जितना देश के प्रधानमंत्री को। प्रधानमंत्री भी तो मूल रुप से एक सांसद ही है। अगर ये कहा जाये कि देश के सिस्टम को तोड़ने वाले देश के नेता है तो कोई गलत नही होगा।
Wednesday, June 24, 2009
जवान करो भारत को….........
अगर भारत के युवाओं से ये पूछा जाए, कि आप क्या बनना चाहते हो तो अधिकतर का जवाब ये ही होगा कि मैं एक डॉक्टर, इंजीनियर या एक अच्छा बिजनेस मैन बनना चाहता हूँ। जब इनसे पूछा जाये कि तुम डॉक्टर या बिजनेस मैन ही क्यों बनना चाहते हो तो उनका जवाब होगा कि मैं जनता की सेवा करना चाहता हूँ। देश के विकास मे योगदान देना चाहता हुं। लेकिन मैं इनकी बातों से सहमत नही हूँ। मै ये सोच कर परेशान हूँ, क्या लोग देश की सेवा एक अच्छा राजनेता बनके नही कर सकते है। मेरा हमेशा से ये ही प्रश्न रहा है कि एक युवा भारतीय डॉक्टर क्यों बनना चाहता है राजनेता क्यों नही।
आज देश का हर नागरिक जानता है कि हमारे भारत देश कि राजनीति बहुत गंदी हो चुकी हैं, लेकिन इस गंदी राजनीति को सुधारने के लिए कोई कदम नही उठाना चाहता। अगर आप कहते है कि हमारे देश की राजनीति गंदी है तो आपको ये कहने का कोई हक नही क्योंकि आपको पता होना चाहिए कि देश की राजनीति को गंदी करने के लिए ज़िम्मेदार भी हम ही हैं,और कोई नहीं। आज स्कुलों में बच्चों को एक अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, एक बिजनेसमैन बनने की शिक्षा दी जाती है, एक राजनेता बनने की क्यों नही। अगर हमे अपने देश की राजनीति सुधारनी है, तो आज हमारे देश में 70 फीसदी लोग 35 वर्ष से कम उम्र के है। ये आबादी बहुत कुछ कर सकती है अगर इन्हे सही गाईडेंन्स मिले तो क्योंकि यह युवा पीढ़ी पुराने आग्रहों और रूढि़यों से मुक्त है। यह आबादी सूचना क्रांति और ग्लोबलाइजेशन के दौर में पैदा हुई है, इसलिए इनकी सोच का अलग है। यह पीढ़ी पॉलिटिक्स और लीडरशिप के बारे में पुरानी पीढ़ी की राय थी उनसे अलग राय रखती है। ये आबादी बूढें हो चुके लालकृष्ण आडवाणी जैसे भेड़ियों की बजाय जवान शेर राहुल गांधी से कुछ ज्यादा उपेक्षा रखती है।
भारत देश के विकास का सबसे शक्तिशाली साधन एक युवा है।...भारतीय राजनीति की विंडबना है कि उच्च पदों की चढ़ाई एवरेस्ट की चढ़ाई करने जैसा है। जब तक चोटी के नजदीक पहुँचते हैं शरीर जर्जर हो जाता है। जब वर्तमान समय में हमारे देश की सत्तर प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम की है तो हमारे देश को एक युवा राष्ट्र की संज्ञा दी जा रही है।
Monday, June 1, 2009
संबंध सुहाना है
है प्रेम से जग प्यारा, सुंदर है सुहाना है जिस ओर नज़र जाए, बस प्रेम-तराना है बादल का सागर से, सागर का धरती से धरती का अंबर से, संबंध सुहाना है तारों का चंदा से, चंदा का सूरज से सूरज का किरणों से, संबंध सुहाना है सखियों का राधा से, राधा का मोहन से मोहन का मुरली से, संबंध सुहाना है पेड़ों का पत्तों से, पत्तों का फूलों से फूलों का खुशबू से, संबंध सुहाना है जन-जन में प्रेम झलके, हर मन में प्रेम छलके मन का इस छलकन से, संबंध सुहाना है।
लीला तिवानी