Monday, March 21, 2011

Monday, February 28, 2011

Sunday, August 9, 2009

पॉलिटिक्स मिन्स कर लो देश मुठ्ठी में...........


राजनीति का अर्थ है राजनेताओं द्वारा अपनी मर्जी से देश को चलाना,राजनीति के इस अर्थ का कहीं वर्णन नही किया गया बल्कि ये भारत के राजनेताओं की सोच से बनाया गया है। भारत के राजनेताओ को एक बार गद्दी मिल जाये बस फिर क्या है फिर तो वो देश को चलाने लग जाते हैं। ये राजनेता देश के प्रशासन को अपने अनुसार चलाने की कोशिश करते है। देश के प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी मुठ्ठी में बंद करके रखना चाहते है। और उन्हे अपने कहे के अनुसार चलाते है और जो अधिकारी इनके कहे के अनुसार नही चलते उनके साथ ये कुछ भी कर सकते है। ये उनका तबादला कराने ज़रा भी समय नही गंवाते, कई बार तो ये नेता उन अधिकारियों के साथ मारपीट तक कर देते है। एक ऐसा ही मामला 27 जुलाई 09 को उत्तरप्रदेश के वाराणसी में घटा जहां पर समाजवादी पार्टी के विधायक एडीएम ऑफिस अपना हैसियत पत्र बनवाने गये थे। विधायक अपनी मर्जी के अनुसार अपना हैसियत पत्र बनवाना चाहता था लेकिन एडीएम आर.के.सिंह के मना करने पर वो भड़क गया। फिर क्या था वो एडीएम के साथ गाली गलौच करने के साथ ही मारपीट की। दूसरा किस्सा आन्ध्राप्रदेश का एक सांसद का है। जिसने की एक ग्रामीण बैंक के मैनेजर पर इसलिए थप्पड़ मारा क्योंकि मैनेजर ने सांसद के कहे के अनुसार दलित श्रण जारी नही किया।
वही बात देश के सिस्टम को मनमर्जी से चलाने की, की जाये तो आपको शायद याद होगा कि कुछ महीनों पहले पटना में एक राजनेता को हवाई अड्डा पहुंचने में देर हो गई थी और फ्लाईट ने उसके पहुंचने से पहले ही उडान भर ली थी। जिसको लेकर के राजनेता ने सम्बंधित एयरलाईंस के मैनेजर से बदतमिजी करने लगा और बात हाथापाई तक पहुंच गई थी। ये कोई नई बात नही है ऐसा तो कई बार होता है कि नेता फ्लाईटों को प्रतिक्षा करवाते हैं। अनेको बार हवाई जहाजें देर से उडान भरती हैं। आप अंदाजा लगा सकते है कि बाकि लोग जो फ्लाइट से सफर कर रहे है उनको कितना नुक्सान हो रहा होगा। छोटी मोटी घटनाएं तो आप कही भी देख सकते है कि राजनेता किस प्रकार से कानुन तोड़कर के अपनी जिन्दगी जीते हैं। कही दूर जाने की जरुरत नही आपने कई बार देखा होगा कि किस प्रकार से हम किसी चौराहे पर रेड लाईट हो जाने पर खड़े रहते है और नेता की गाडी पीछे से आती है और रेड लाईट होने के बावजूद भी उसकी गाडी निकल जाती है। उस वक्त कोई पुलिस वाला उसकी गाडी को ना तो रोकता और ना ही उसका चालान काटा जाता। एक ऐसा ही मामला ओर है एक सांसद ने हाल ही के दिनों में प्रधानमंत्री के मोटरसाईकिल के काफिले में घुस कर के सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की। फिर उन्होने तर्क दिया कि उसे भी संसद में समय पर पहुंचने का उतना ही हक है जितना देश के प्रधानमंत्री को। प्रधानमंत्री भी तो मूल रुप से एक सांसद ही है। अगर ये कहा जाये कि देश के सिस्टम को तोड़ने वाले देश के नेता है तो कोई गलत नही होगा।

Wednesday, June 24, 2009

जवान करो भारत को….........


अगर भारत के युवाओं से ये पूछा जाए, कि आप क्या बनना चाहते हो तो अधिकतर का जवाब ये ही होगा कि मैं एक डॉक्टर, इंजीनियर या एक अच्छा बिजनेस मैन बनना चाहता हूँ। जब इनसे पूछा जाये कि तुम डॉक्टर या बिजनेस मैन ही क्यों बनना चाहते हो तो उनका जवाब होगा कि मैं जनता की सेवा करना चाहता हूँ। देश के विकास मे योगदान देना चाहता हुं। लेकिन मैं इनकी बातों से सहमत नही हूँ। मै ये सोच कर परेशान हूँ, क्या लोग देश की सेवा एक अच्छा राजनेता बनके नही कर सकते है। मेरा हमेशा से ये ही प्रश्न रहा है कि एक युवा भारतीय डॉक्टर क्यों बनना चाहता है राजनेता क्यों नही।

आज देश का हर नागरिक जानता है कि हमारे भारत देश कि राजनीति बहुत गंदी हो चुकी हैं, लेकिन इस गंदी राजनीति को सुधारने के लिए कोई कदम नही उठाना चाहता। अगर आप कहते है कि हमारे देश की राजनीति गंदी है तो आपको ये कहने का कोई हक नही क्योंकि आपको पता होना चाहिए कि देश की राजनीति को गंदी करने के लिए ज़िम्मेदार भी हम ही हैं,और कोई नहीं। आज स्कुलों में बच्चों को एक अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, एक बिजनेसमैन बनने की शिक्षा दी जाती है, एक राजनेता बनने की क्यों नही। अगर हमे अपने देश की राजनीति सुधारनी है, तो आज हमारे देश में 70 फीसदी लोग 35 वर्ष से कम उम्र के है। ये आबादी बहुत कुछ कर सकती है अगर इन्हे सही गाईडेंन्स मिले तो क्योंकि यह युवा पीढ़ी पुराने आग्रहों और रूढि़यों से मुक्त है। यह आबादी सूचना क्रांति और ग्लोबलाइजेशन के दौर में पैदा हुई है, इसलिए इनकी सोच का अलग है। यह पीढ़ी पॉलिटिक्स और लीडरशिप के बारे में पुरानी पीढ़ी की राय थी उनसे अलग राय रखती है। ये आबादी बूढें हो चुके लालकृष्ण आडवाणी जैसे भेड़ियों की बजाय जवान शेर राहुल गांधी से कुछ ज्यादा उपेक्षा रखती है।

भारत देश के विकास का सबसे शक्तिशाली साधन एक युवा है।...भारतीय राजनीति की विंडबना है कि उच्च पदों की चढ़ाई एवरेस्ट की चढ़ाई करने जैसा है। जब तक चोटी के नजदीक पहुँचते हैं शरीर जर्जर हो जाता है। जब वर्तमान समय में हमारे देश की सत्तर प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम की है तो हमारे देश को एक युवा राष्ट्र की संज्ञा दी जा रही है।

ऐसा सपना लेकर कर के कुछ लोग अपने काम में जुटे पडे हैं। वो लोग बिना किसी की परवाह किए अपने दिलो जान से लगे हैं। उनकी आँखों में केवल भारत की राजनीति को सुधारने का सपना है बल्कि भारत को एक युवा विकसीत देश का दर्जा दिलाने का सपना है। ऐसे में हम राहुल गाँधी, सचिन पायलट,उमर अब्दुला, शैलजा कुमारी, प्रियंका गाँधी, प्रिया दत, नविन जिंदल, जितिन प्रसाद, मिलिन्द देबडा जैसे लोगों का नाम ले सकते हैं। ये वो नेता है जो भारत की पुरी छवी बदल कर रखना चाहते है। हमारा साथ इन लोगों की राह को थोडा आसान बना सकता है। अत: मैं हर एक भारतीय युवा से ये ही कहुंगा कि बुढें भेडियों का साथ छोड़ो। अब अपने भारत देश को जवान कर डालो। अगर देश में राहुल गाँधी जैसे नेता पैदा होते रहे तो वो दिन दुर नही जिस दिन हम गर्व से कहेंगें कि हम विश्व की एकमात्र देश की महान शक्ती भारत देश के नागरिक है.।

Monday, June 1, 2009

संबंध सुहाना है


है प्रेम से जग प्यारा, सुंदर है सुहाना है जिस ओर नज़र जाए, बस प्रेम-तराना है बादल का सागर से, सागर का धरती से धरती का अंबर से, संबंध सुहाना है तारों का चंदा से, चंदा का सूरज से सूरज का किरणों से, संबंध सुहाना है सखियों का राधा से, राधा का मोहन से मोहन का मुरली से, संबंध सुहाना है पेड़ों का पत्तों से, पत्तों का फूलों से फूलों का खुशबू से, संबंध सुहाना है जन-जन में प्रेम झलके, हर मन में प्रेम छलके मन का इस छलकन से, संबंध सुहाना है।


लीला तिवानी