देश मे 15लोकसभा का परिणाम आ चुका है। देश के मतदाताओं ने समाचार पत्रों, टी.वी. चैनलों, राजनीतिक विश्लेषकों और भविष्य वक्ताओं के अनुमानों को ध्वस्त कर दिया हैं। तीसरा मोर्चा, और न जाने कितने नेता जो सरकार बनाने और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर ताज पहने बैठने के सपने संजोये थे अब उन्हे चेहरा छिपाने को भी जगह नही मिल रही। सबसे बड़ी खुशी की बात तो यह है कि भारत के जागरुक मतदाताओं ने जाति और धर्म से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर अपने वोट का प्रयोग किया है। अब यूपीए की सरकार बनी है जिससे आशा है कि यह काफी हद तक स्थाई रहेगी और चुनावों से पहले जनता से किए वादो को पुरा करने की कोशिश करेगी।
मतदातओ की जगरुकता ने उन नेताओं और दलों का भ्रम तोड दिया जो अपने आप को जातियों के सबसे बडे हितैषी समझते थे या जो जातीवाद के आधार पर वोट बटोरते थे। जनता ने धार्मिक भावनाएं भड़का कर जीतने वालों और धर्म या जाति के सहारे राजनीति करने वालों का सफाया कर दिया। नेता होने की धोंश मे सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करने वालों को भी जनता ने किनारे कर दिया। जनता के वोट की बदौलत सरकारों में बाहर से या भीतर से समर्थन देकर ब्लैकमेलिंग की राजनीति करने वाले नेताओं को भी भारत के मतदाताओं ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है और अब वे नेता औऱ उनके समूह बचते फिर रहे हैं।
चुनाव परिणामों से पता चलता है कि मतदाता कट्टरतावाद और साम्प्रदायिकता के विरुद्ध हैं। कट्टरतावादी चाहे किसी भी धर्म से सम्बन्धित हो वो हिन्दू हो या मुसलमान हो या इनमें से किसी वर्ग को सपोर्ट करता हो, मतदाताओं उन्हें भी नकार चुके हैं। मतदातओं ने उस दल को अपना मत दिया है जो उनके लिए विकास के कार्य कर सके। यूपीए सरकार ने पिछले 5 सालों में बहुत ही जनहीत के कार्य किऐ हैं इसमे शक की कोई गुंजाईश नही है। इसलिए कांग्रेस इस चुनाव में सबसे बडे़ दल के रुप में प्रकट हुई हैं।
इन चुनाव परिणामों से पता चलता है कि नेताओं और दलों को अपनी विचारधारा और नीतियों को बदलना पड़ेगा। उन्हे अपनी नीतिया जनता के हित में बनानी होगी तभी मतदाताओं की नज़रों मे अपनी छवी अच्छी बना सकते हैं। अन्यथा जनता यूं ही उन्हे नकारती रहेगी। अब समय आ गया है कि राजनीतिक पार्टीयां भारत देश के मतदाताओं को समझें।
मतदातओ की जगरुकता ने उन नेताओं और दलों का भ्रम तोड दिया जो अपने आप को जातियों के सबसे बडे हितैषी समझते थे या जो जातीवाद के आधार पर वोट बटोरते थे। जनता ने धार्मिक भावनाएं भड़का कर जीतने वालों और धर्म या जाति के सहारे राजनीति करने वालों का सफाया कर दिया। नेता होने की धोंश मे सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करने वालों को भी जनता ने किनारे कर दिया। जनता के वोट की बदौलत सरकारों में बाहर से या भीतर से समर्थन देकर ब्लैकमेलिंग की राजनीति करने वाले नेताओं को भी भारत के मतदाताओं ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है और अब वे नेता औऱ उनके समूह बचते फिर रहे हैं।
चुनाव परिणामों से पता चलता है कि मतदाता कट्टरतावाद और साम्प्रदायिकता के विरुद्ध हैं। कट्टरतावादी चाहे किसी भी धर्म से सम्बन्धित हो वो हिन्दू हो या मुसलमान हो या इनमें से किसी वर्ग को सपोर्ट करता हो, मतदाताओं उन्हें भी नकार चुके हैं। मतदातओं ने उस दल को अपना मत दिया है जो उनके लिए विकास के कार्य कर सके। यूपीए सरकार ने पिछले 5 सालों में बहुत ही जनहीत के कार्य किऐ हैं इसमे शक की कोई गुंजाईश नही है। इसलिए कांग्रेस इस चुनाव में सबसे बडे़ दल के रुप में प्रकट हुई हैं।
इन चुनाव परिणामों से पता चलता है कि नेताओं और दलों को अपनी विचारधारा और नीतियों को बदलना पड़ेगा। उन्हे अपनी नीतिया जनता के हित में बनानी होगी तभी मतदाताओं की नज़रों मे अपनी छवी अच्छी बना सकते हैं। अन्यथा जनता यूं ही उन्हे नकारती रहेगी। अब समय आ गया है कि राजनीतिक पार्टीयां भारत देश के मतदाताओं को समझें।
बहुत सही मूल्यांकन .
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